मदुरै,दक्षिण सूर्य डॉ.श्री वरुण मुनि जी महाराज साहब के मुखारविंद से तेरापंथ भवन मदुरै में ज्ञान की गंगा बह रही है ।आज उन्होंने मन को मेघ , मधुकर (भँवरा) , स्त्री , मदन (कामदेव), हवा, बंदर ,उमा (लक्ष्मी), मत्स्य (मछली )के समान चंचल बताया है। अन्य 9 जीवो के स्वभाव की अपेक्षा मन को वश में करना बड़ा ही दुष्कर कार्य बताया है। क्योंकि मन में निरंतर प्रत्येक क्षण विचारों का जन्म होता रहता है। इसलिए हर इंसान अधूरा है, चाहे संत हो या चोर। हर क्षण विचार एक से नहीं रहते। गतिओं का निर्धारण भी मन के भावों पर ही निर्भर करता है। महाराज साहब जी ने फरमाया कि स्वयं को पाना है तो, स्वयं को जीतना है तो ,मन को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करो ।मन में उठने वाले विचारों में बुराई, कषाय, लोभ जैसे विकार आए तो उन से लड़ना सीखो ।हमें स्वयं से नहीं, अनावश्यक विचारों से लड़ना है ।इसके लिए महाराज साहब जी ने 2 उपाय बताए हैं। पहला सत्संग दूसरा स्वाध्याय। सत्संग सुनना बुरे विचारों को आने नहीं देता। गुरु भगवंतो के प्रवचन, सत्संग आदि मन शांत रखने का अचूक उपाय हैं और दूसरा स्वाध्याय करना -ज्ञानियों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का अध्ययन हमारी सोच को विकसित करता है ।जहां तक हो सके सत्संग और स्वाध्याय को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और एक सफल जीवन का निर्माण करे। , तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री जयंतीलाल जी जीरावाला,स्थानकवासी संघ के अध्यक्ष नेमीचंद जी बाफना , तेरापंथ ट्रस्ट अध्यक्ष ओमप्रकाश जी कोठारी महिला मंडल एवं अनेक श्रावक श्राविकाऐ प्रवचन का निरंतर लाभ ले रहे हैं।
प्रवचन का समय सुबह 9:30 से 10:30 तक।
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